लेखक: Admin
उपशीर्षक: एक हालिया अध्ययन में सामने आया है कि शरीर में अतिरिक्त चर्बी का ज्ञान संबंधी कारकों से सीधा संबंध है। अतिरिक्त चर्बी हमारे मस्तिष्क के लिए बहुत हानिकारक है।
——————————————————————————-
जामा नेटवर्क ओपन पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में बायोइलेक्ट्रिकल प्रतिबाधा विश्लेषण के माध्यम से करीब 9,165 प्रतिभागियों के कुल शारीरिक वसा का आकलन किया गया। निष्कर्ष आया कि शरीर में अतिरिक्त वसा का ज्ञान संबंधी कारकों से सीधा संबंध है। अधिक चर्बी होने की स्थिति में ज्ञान संबंधी कार्यों जैसे क्रियात्मकता, सोचने की क्षमता और याददाश्त को खतरा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कार्डियोवैस्कुलर जोखिम कारकों, जैसे मधुमेह या उच्च रक्तचाप, और मस्तिष्क की चोट को लेकर अध्ययन किया। इस दौरान ही उनको यह बात पता चली कि शरीर में अधिक चर्बी का दुष्प्रभाव सोचने और याददाश्त जैसे कारकों पर पड़ता है।
एमआरआई से मापी चर्बी
शोधकर्ताओं ने तकरीबन 6,732 प्रतिभागियों का एमआरआई किया। उनके आंत की चर्बी के आसपास पेट की चर्बी को मापा गया। एमआरआई में मस्तिष्क के क्षेत्र में संवहनी (वैस्कुलर) मस्तिष्क की चोट का भी आकलन किया गया। प्रतिभागियों की उम्र 30 से 75 के बीच थी जिनमें से 56 प्रतिशत से अधिक महिलाएं थीं।
चर्बी कम करने से संज्ञानात्मक कार्य संरक्षित:
मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के माइकल जी. डीग्रोट स्कूल ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर और इस अध्ययन की शोधकर्ता डॉ सोनिया आनंद के मुताबिक शरीर में अत्याधिक चर्बी को कम करने से संज्ञानात्मक कार्य को संरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और संवहनी मस्तिष्क की चोट जैसे कार्डियोवैस्कुलर जोखिम कारकों में इसके प्रभाव के बाद भी शरीर में अधिक वसा का प्रभाव बना रहता है।
बुढ़ापे में मनोभ्रंश रोकने का सर्वोत्तम तरीका:
न्यूरोलॉजिस्ट, वैज्ञानिक और कैलगरी विश्वविद्यालय में कार्यरत इस शोध पत्र की सह-लेखिका एरिक स्मिथ ने बताया कि “ज्ञान संबंधी कार्य को संरक्षित करना बुढ़ापे में मनोभ्रंश यानी की डिमेंशिया को रोकने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। शरीर में चर्बी का संतुलित प्रतिशत मनोभ्रंश को रोकने में सहायक है।”
आपको बता दें कि हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया था कि जैसे-जैसे पेट की चर्बी बढ़ती है दिमाग सिकुड़ने लगता है। (http://mentalhealthcare.in/the-more-your-belly-grows-the-more-your-brain-shrinks/) इसके परिणाम स्वरूप लोगों में मनोभ्रंश यानी की डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। मोटापे की चपेट में आए लोगों में डिमेंशिया होने की आशंका तीन गुणा तक बढ़ जाती है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)