Mental Health

मुक्ताक्षर

किशोरों के विकसित होते दिमाग पर ‘जंग’ लगा रहा ‘जंक फूड’

लेखक: Admin

उपशीर्षक: शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोरावस्था के दौरान ज्यादा जंक फूड खाने की वजह से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स के विकास में बाधा पैदा होती है और इस हिस्से की संरचना और कार्यप्रणाली में बदलाव हो जाता है।

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जंक फूड खाने के कारण किशोर दिमागी तौर पर विकसित नहीं हो पा रहे हैं और मानसिक तौर पर भी कमजोर हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि आसानी से अधिक कैलोरी वाला खाना खाने का यह लालच अगर किशोरों ने रोका नहीं तो इसके गंभीर परिणाम उनको भुगतने पड़ सकते हैं।जंक फूड के दिमाग पर नुकसान की इस खबर के बाद अभिभावकों को भी बहुत सावधान होना होगा। घर में किशोर उम्र के बच्चे हैं तो उनके खान-पान का ध्यान रखना अब बड़ों की भी जिम्मेदारी है।

एक हालिया शोध में यह बताया गया है कि किशोर उम्र का होने पर बच्चों में जंक फूड खाने की ललक ज्यादा ही बढ़ जाती है। वह ऐसा खाना खाते जाते हैं और इस बात से अनजान होते हैं कि यह खाना उनके दिमाग के विकास को बाधा पहुंच रहा है।

इसलिए नहीं रुक पाते जंक फूड खाने से:

द लांसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ के मुताबिक, किशोरावस्था में व्यव्हार में तेजी से परिवर्तन होते हैं। यह परिवर्तन नकारात्मक दिशा में न जाने पाएं, इसे रोकने के लिए इस उम्र के बच्चों में स्वस्थ खान-पान की आदतों को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है।शोधकर्ताओं के मुताबिक, किशोर बच्चे उच्च कैलोरी और चीनी वाले खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करते हैं। किशोरावस्था के दौरान दिमाग का प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स जो आत्म नियंत्रण, फैसला लेने संबंधी भावनाओं को नियंत्रित करता है, विकसित हो रहा होता है। ऐसे में किशोर जंक फूड और फास्ट फूड जैसे अस्वास्थ्यकारी खाने का लालच नहीं छोड़ पाते। दिमाग का यह हिस्सा सबसे अंत में विकसित होता है। ऐसे में वे ऐसा खाना खाने की चाहत रखते हैं जो उन्हें अच्छा लगता है।

दिमाग का एक हिस्सा होता प्रभावित:

शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोरावस्था के दौरान ज्यादा जंक फूड खाने की वजह से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स के विकास में बाधा पैदा होती है और इस हिस्से की संरचना और कार्यप्रणाली में बदलाव हो जाता है। इसके अलावा दिमाग में डोपामाइन संकेतों में भी बदलाव हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि किशोरों के दिमाग में रिवॉर्ड सिस्टम सक्रिय हो जाता है। वो बस खुद को खुश करना चाहते हैं और हर वह काम करना चाहते हैं जिसे वह चाहते हैं। जंक फूड का सेवन भी इनमें से एक है। वो जंक फूड खाते रहते हैं इससे आगे चलकर उनकी बुद्धिमत्ता में कमी आती है। यही नहीं उनका व्यवहार भी हिंसक हो जाता है।

कसरत से मिल सकती है मदद:

शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि कसरत दिमाग में हो रहे इन बदलावों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। कसरत किशोरों को खाने के बेहतर विकल्पों का चयन करने में मददगार है। शोध के परिणाम बताते हैं कि कसरत दिमाग के ज्ञानात्मक नियंत्रण को बेहतर करने के साथ ही रिवॉर्ड सिस्टम की संवेदनशीलता को भी रोकती है। जिससे बच्चे जंक फूड का चयन नहीं करते।

 

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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