Mental Health

मुक्ताक्षर

अवसाद पर खुलकर बोले विराट कोहली

लेखक: Admin

उपशीर्षक: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान पहले भी यह बता चुके हैं कि अवसाद के दौरान उन्होंने बहुत अकेलापन महसूस किया। कोहली ने कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर मुद्दा है जिस पर जागरूक होने का समय अब आ चुका है।

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भारतीय क्रिकेट के तेज तर्रार खिलाड़ी विराट कोहली ने स्वीकार किया कि वह अवसाद में थे। वह जैसे-तैसे खुद को संभाल पाए। इसके बाद से वह लगातार अवसाद पर अपनी राय रखते रहे हैं। विराट ने कहा है कि अवसाद एक बहुत ही गंभीर मसला है जिस पर जागरूक होने का समय अब आ चुका है।

हाल ही में मीडिया में आया उनका एक साक्षात्कार सुर्खियां बटोर रहा है। इस साक्षात्कार में विराट ने एक खिलाड़ी के सामने आने वाली चुनौतियों, दबाव और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात की। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि मानसिक स्वास्थ्य पर लोग बात करना पसंद नहीं करते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना इस दौर में बहुत ही महत्वपूर्ण हो चुका है।

पूरी तरह से टूट सकता है इंसान:

विराट का कहना है कि एक खिलाड़ी कभी भी अपना सबसे बेहतरीन दे सकता है। लेकिन अगर वह लगातार दबाव में रहता है तो उसका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है जो कि किसी भी व्यक्ति को पूरी तरह से तोड़ सकता है। एक खिलाड़ी के तौर पर तब भी हम खुद को मजबूत बनाने की कोशिश करते रहते हैं।

प्यार करने वाले लोगों के बीच भी अकेलापन:

विराट पहले भी यह बता चुके हैं कि अवसाद के दौरान उन्होंने बहुत अकेलापन महसूस किया। उन्होंने बताया, “मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाने के बाद मेरे पास बहुत से ऐसे लोग थे जो मुझे प्यार करते थे और मेरे मददगार भी थे लेकिन इन सबके साथ होते हुए भी मैंने खुद को बहुत अकेला पाया।”

विराट का कहना है कि अवसाद में घिरे किसी भी इंसान के साथ ऐसा हो सकता है जैसा मेरे साथ हुआ। मानसिक स्वास्थ्य का बिगड़ना ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति खुद को ही नहीं समझ पाता है। खुद को मजबूत नहीं रख पाता है जिससे उसका सब कुछ बिखर सकता है। इसलिए अवसाद से लड़ते वक्त खुद को मजबूत बनाए रखने का काम करना बहुत जरूरी है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: 

इस बारे में मथुरा स्थित क्रिकेट एकेडमी से जुड़े कोच अरुण चावला का कहना है कि सच में खिलाड़ी भी बहुत दबाव में होते हैं। उनको कोचिंग के समय से ही काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिकों की सलाह की आवश्यकता होती है। इसलिए अब लगभग हर क्षेत्र में मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति की जरूरत आ पड़ी है। छोटे स्तर से ही खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने का समय आ गया है। जब नींव मजबूत होगी तब खिलाड़ी आगे चलकर बड़े दबावों को झेल सकेंगे। अन्यथा अवसाद छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर तक हर खेल के खिलाड़ियों में बढ़ता रहेगा।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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