लेखक: Admin
उपशीर्षक: दिमाग की गंभीर चोट यानी की ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी को नजर अंदाज करना आपको कोमा में भी पहुंचा सकता है।
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आंकड़ों की माने तो भारत में प्रतिवर्ष लाखों लोग सिर की गंभीर चोट का शिकार बनते हैं। कभी आकस्मिक दुर्घटना में तो कभी कहीं पर गिरने से दिमाग में चोट लग जाती है। बहुत से ऐसे भी होते हैं जो दिमाग में लगी चोट को हल्के में लेते हैं। उनके दिमाग में चोट का असर हुआ है एकदम से समझ भी नहीं पाते। आगे जाकर दिमाग में लगी यही चोट कई प्रकार की मुसीबतों का सबब बन सकती है। यह इंसान को कोमा में भी पहुंचा सकती है और उसकी जान भी ले सकती है।
वैसे भी दिमाग या मस्तिष्क को शरीर का अति संवेदनशील हिस्सा माना गया है जिसके इलाज के लिए भी अति विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता पड़ती है। अगर कभी दिमाग की सर्जरी करने की नौबत आ जाए तो विशेषज्ञ चिकित्सक भी फूंक-फूंक के कदम रखते हैं। ऐसे में हमें कभी भी दिमाग की चोट को हल्के में नहीं लेना चाहिए। दिमाग में लगी चोट का प्रभाव केवल दिमाग तक ही सीमित नहीं होता बल्कि शरीर के कई अन्य हिस्से भी इससे प्रभावित होते हैं।
ये हो सकती है ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी में:
ब्रेन इंजरी की ज्यादातर घटनाएं वाहन चलाते वक्त हुए आकस्मिक दुर्घटना में सामने आती हैं। इसके अलावा लड़ाई-झगड़ों, मारपीट, हिंसक घटनाओं, गिरने आदि के चलते भी दिमाग ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी का शिकार बन सकता है। आघात का दिमाग की नसों पर भारी दबाव पड़ता है जिससे वह फट जाती हैं और खून बहने लगता है। मस्तिष्क में गहरा आघात लगने या खोपड़ी में हुआ टूट भी दिमाग की कोशिकाओं में घुस जाता है। ऐसी स्थितियों को ही ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी कहा जाता है।
ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी के लक्षणों को पहचाने:
न्यूरोसर्जन डॉ चेतन पंडित बताते हैं कि अक्सर हम सिर में लगी चोट को बहुत हल्के में ले जाते हैं अगर हमें ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी से बचना हो तो इन लक्षणों को पहचानना जरूरी है।
- कुछ क्षणों के लिए बेहोशी आ जाती है फिर व्यक्ति होश में आ जाता है।
- सिर में दर्द होता है और उल्टियां होने लगती हैं
- मुंह से निकल रहे शब्द ठीक से जुबान पर नहीं आ पाते, शरीर पर नियंत्रण खो जाता है और व्यक्ति लड़खड़ाने लगता है
- आंखों में धुंधलापन आ जाता है और कानों में सीटी जैसी आवाज गूंजने लग जाती है
- मुंह का स्वाद बदल जाता है
- बिजली के जलने और तेज आवाज से पीड़ित को परेशानी होने लगती है
- आंखों की रोशनी भी कम होने लगती है
तुरंत करें चिकित्सक से संपर्क:
डॉ चेतन का कहना है कि सिर में अगर आपको चाहे हल्की चाहे ज्यादा चोट लगी हो इसको गंभीरता से ही लें। कभी-कभी सिर में लगी चोट के परिणाम एकदम से सामने नहीं आते हैं अंदरूनी चोट गहरी लगी होती है लेकिन सामने से देखने पर लगता है मानो ज्यादा चोट न लगी हो। अंदरूनी चोट धीरे-धीरे दिमाग को नुकसान पहुंचा रही होती है जैसे कभी खून के थक्के जम जाते हैं तो कभी खून में इंफेक्शन भी हो जाता है। बाद में पीड़ित को परेशानी होने लगती है। दिमाग की चोट शरीर के कई हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है ऐसे में पीड़ित के आंखों की रोशनी तक जा सकती है और वह कोमा में भी जा सकता है।
हो सकती हैं कई प्रकार का मानसिक बीमारियां भी:
एक अध्ययन के अनुसार, दिमाग में अगर बार-बार चोट लगती है या ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी हो जाती है तो इससे आगे जाकर कई प्रकार की मानसिक बीमारियां भी पैदा हो सकती हैं जिनमें अल्जाइमर, पार्किन्स और डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारियां शामिल हैं।
इस तरह करें बचाव:
- ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी से बचने के लिए ड्राइविंग नियम का पूरा पालन करें
- बहुत तेज गति से गाड़ी न चलाएं, कार चलाते वक्त सीट बेल्ट जरूर लगाएं, दो पहिया वाहन चलाते वक्त अच्छी कंपनी का हेलमेट अवश्य लगाएं
- बाथरूम और उसके आस-पास ऐसे मैट बिछाएं जो फिसलें नहीं, घिस चुकी चप्पलों का इस्तेमाल न करें
- नियमित रूप से आंखों का चेकअप कराएं, अगर प्रोग्रेसिव लेंस का प्रयोग शुरू किया है तो सीढ़ियों पर चलते वक्त विशेष सतर्क रहें
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)