Mental Health

मुक्ताक्षर

क्षतिग्रस्त तंत्रिका तंत्र को ठीक कर याददाश्त वापस लाने की आशा जगी

लेखक: Admin

उपशीर्षक: मानसिक आघात और तंत्रिका तंत्र का आपस में बहुत गहरा संबंध है। यहां व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। लेकिन शोधकर्ताओं ने इसका भी तोड़ ढूंढ निकाला है। उन्होंने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके तंत्रिका तंत्र को दोबारा ठीक करने के लिए कृत्रिम कनेक्शन विकसित किया है।

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तंत्रिका तंत्र के क्षतिग्रस्त होने से व्यक्ति को मानसिक आघात हो सकता है यहां तक की उसकी याददाश्त तक जा सकती है जो फिर कभी लौट कर नहीं आती। लेकिन क्या हो अगर तंत्रिका तंत्र दोबारा ठीक हो जाए वो भी किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के बगैर और व्यक्ति की याददाश्त भी लौट आए। हाल ही में हुई एक नई शोध तो कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।

गौरतलब है कि किसी प्रकार की दुर्घटना या किसी अन्य बीमारी के कारण तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाए तो इसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। शारीरिक परेशानियों की बात करें तो लोगों की आंखों की रोशनी, चलने फिरने की शक्ति, आवाज प्रभावित होती है तो मानसिक स्तर पर उसकी याददाश्त तक जा सकती है। मानसिक आघात और तंत्रिका तंत्र का तो वैसे भी आपस में बहुत गहरा संबंध है। यहां व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। लेकिन शोधकर्ताओं ने इसका भी तोड़ ढूंढ निकाला है। उन्होंने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके तंत्रिका तंत्र को दोबारा ठीक करने के लिए कृत्रिम कनेक्शन विकसित किया है।

यरूशलेम की हिब्रू यूनिवर्सिटी ने यह घोषणा करते हुए बताया है कि इजरायल और अमेरिका के शोधार्थियों ने संयुक्त रूप से क्षतिग्रस्त तंत्रिका तंत्र  की मरम्मत के लिए कृत्रिम कनेक्शन विकसित किया है। जर्नल सेल सिस्टम में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, हिब्रू यूनिवर्सिटी और अमेरिका के सिएटल स्थित फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के शोधार्थियों ने इस बेहतरीन शोध को अंजाम दिया है। इन शोधार्थियों ने यह साबित किया है कि क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को जेनेटिक तरीके सिनैप्स के माध्यम से दोबारा ठीक किया जा सकता है। इस शोध से याददाश्त खो चुके या मानसिक आघात वाले मरीजों के ठीक होने की उम्मीद जगी है।

कीड़ों पर आजमाई प्रक्रिया
शोधकर्ताओं ने कीड़ों पर इस प्रक्रिया का सफलतापूर्वक अध्ययन किया। इन कीड़ों का तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त था। शोधकर्ताओं ने कृत्रिम सिनैप्स डालकर तंत्रिका तंत्र को दोबारा ठीक किया। ये सिनैप्स जैविक (जेनेटिक) रूप से न्यूरॉन में मौजूद सिनैप्टिक प्रोटीन पर आधारित थे। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सिनैप्टिक बाईपास बनाया जो कीड़ों के न्यूरल नेटवर्क में सूचनाओं के आदान-प्रदान की बहाली के लिए जिम्मेदार होता है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जिन कीड़ों के तंत्रिका तंत्र की मरम्मत कर दोबारा ठीक किया गया था, उनकी कार्यक्षमता सामान्य स्वस्थ कीड़ों से अधिक हो गई थी।

शोधकर्ताओं ने बताया कि यह कृत्रिम सिनैप्स से प्राप्त कमजोर संकेतों (सिग्नल) को बढ़ाये जाने के कारण संभव हुआ था। शोधकर्ताओं के अनुसार इस नवीन तरीके की शोध के बाद अब किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के बगैर इंसानों का भी उपचार किया जा सकता है और क्षतिग्रस्त हुए तंत्रिका तंत्र को ठीक करने से इंसान की याददाश्त भी दुरुस्त हो सकती है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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