लेखक: Admin
उपशीर्षक: महिलाओं एवं लड़कियों का इस प्रकार लड़ना-झगड़ना और गालियां तक दे डालना उनकी कमजोर मानसिक स्थिति का सूचक है जो कि बहुत खतरनाक स्थिति में जा पहुंचा है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे बढ़ता दिखावा, फेक आइडेंटिटी, मैं भी किसी से कम नहीं, पारिवारिक या व्यक्तिगत परेशानियां
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गाली पर गाली, गाली पर गाली… आखिर किसने चुरा ली है शरमो हया की लाली जो “पापा की परियां” इतनी बदजुबान हो रही हैं। आखिर कौन सा आक्रोश और तनाव है जो इनको परियों से राक्षसी बना दे रहा है। शायद “मैं भी किसी से कम नहीं” दिखाने के चक्कर में ये परियां अपनी ही मानसिक स्थिति को संभाल नहीं पा रही हैं। तभी तो छोटी-छोटी बात पर ये बिगड़ रहीं हैं और शुरू हो जा रही हैं गालियों की बौछार करने में। आए दिन इस प्रकार के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जो सोचने पर मजबूर करते हैं कि आखिर देश की लड़कियों को ये क्या होता जा रहा है और उनकी मानसिक स्थिति किस स्तर पर आ चुकी है।
सोचने पर मजबूर करती है महिलाओं की मानसिक स्थिति:
हाल ही में नोएडा, कानपुर, आगरा से महिलाओं और लड़कियों के ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें उनकी जुबान से निकलती गालियों को मीडिया भी सुनवाने से कतरा रहा है। मीडिया पर खबर और वीडियो तो आते हैं लेकिन गाली देती महिलाओं के शब्द इतने निम्नस्तर के हैं कि उनको पॉज करना पड़ता है। कारण-अकारण ही ये महिलाएं लड़ने-झगड़ने और गालियां देने पर आमादा हैं। नोएडा में तो एक महिला ने न केवल सोसाइटी के गार्ड से असभ्यता की बल्कि उसका गिरेबान भी पकड़ लिया। बात केवल इतनी थी कि गार्ड ने सोसाइटी का गेट खोलने में देरी कर दी थी। महिला को गिरफ्तार भी किया गया।
लॉकडाउन के दौरान पति के साथ कार में बैठी महिला का मास्क न पहनने पर टोकने पर पुलिसवालों के साथ बदतमीजी का वीडियो सुर्खियों में रहा था तो लखनऊ की थप्पड़ गर्ल को भी आप भूले नहीं होंगे। इन सबको देखने पर क्या आपको लगता है कि एक सामान्य मानसिक स्थिति की महिला ऐसे काम कर सकती है?
खतरनाक मानसिक स्थिति का सूचक:
इस बारे में मनोवैज्ञानिक डॉ सपना कहती हैं महिलाओं एवं लड़कियों का इस प्रकार लड़ना-झगड़ना और गालियां तक दे डालना उनकी कमजोर मानसिक स्थिति का सूचक है जो कि बहुत खतरनाक स्थिति में जा पहुंचा है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे बढ़ता दिखावा, फेक आइडेंटिटी, मैं भी किसी से कम नहीं, पारिवारिक या व्यक्तिगत परेशानियां आदि-आदि। बड़े ही नहीं छोटे शहरों में भी हाल बिगड़ता जा रहा है। महिलाओं में इतना क्रोध सामान्य बात नहीं है। दूसरा खतरा यह कि अंजाम पता होने के बाद भी वह खुद को रोक नहीं पा रहीं, चाहे फिर जेल हो जाए या उनकी बदनामी। ये मानसिक विकार की ही निशानियां हैं।
हिंसात्मक व्यवहार चिंता का विषय:
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ सचिन कहते हैं कि मानसिक विकारों ने अब देश की महिलाओं को पूरी तरह चपेट में लेना शुरू कर दिया है। तनाव का एक रूप क्रोध भी है जो उनमें भयानक रूप में सामने आ रहा है। पहले तो ऐसी महिलाओं की काउंसलिंग करवाई जानी चाहिए। इसके अलावा विद्यालय स्तर से ही नैतिक पतन रोकने की शिक्षा देनी चाहिए। इसके अलावा काउंसलिंग करवाई जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी में मानसिक विकार कम किए जा सकें।
क्या कहते हैं आंकड़े:
- भारतीय किशोरियों में अवसाद के मामले पिछले एक दशक में तेजी से बढ़े हैं। उनका व्यवहार भी हिंसात्मक होता जा रहा है।
- पुरुषों के मुकाबले महिलाओं अवसाद के मामले दोगुने होते हैं।
- अवसाद और तनाव का ही एक रूप क्रोध भी है जो प्रतिक्रिया के तौर पर सामने आता है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)