Mental Health

मुक्ताक्षर

हर एक दोस्त जरूरी होता है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: दोस्ती हमें अकेलेपन के प्रतिकूल प्रभावों और मानसिक बीमारियों से बचा सकती है।

——————————————————————

दोस्तों की जिंदगी में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मन की वो सारी बातें जो हम किसी से भी साझा नहीं कर सकते एक दोस्त से कर सकते हैं। इससे मन का बोझ हल्का होता है और हम मानसिक तौर पर खुद को तनावमुक्त महसूस करते हैं। कई अध्ययनों में परिवार और दोस्तों के साथ को मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर बताया जा चुका है।

अब एक हालिया अध्ययन सामने आया है जिसमें कहा गया है कि जिन लोगों के अच्छे दोस्त होते हैं उन्हें ह्दयरोग, उच्च रक्तचाप, कैंसर जैसी बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है। साथ ही तनाव और अवसाद होने का जोखिम भी घट जाता है। ऐसे लोगों की रोग प्रतिरोधक प्रणाली भी मजबूत रहती है। यानी की दोस्तों का साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है। इसके विपरीत ऐसे लोग जो समाज और दोस्तों से दूर रहते हैं या दोस्ती नहीं कर पाते उनमें शारीरिक और मानसिक बीमारियां होने का खतरा काफी अधिक होता है।

अवसाद से बचना हो तो दोस्त जरूर बनाएं:

पहले भी कई अध्ययन हुए हैं जिनमें दोस्ती को मानसिक स्वास्थ्य की सलामती के लिए किसी वरदान से कम नहीं माना गया है। एक अध्ययन के मुताबिक, दोस्ती लोगों के अकेलेपन की समस्या को दूर करती है जिससे मानसिक विकार होने की संभावना कम हो जाती है। वहीं अकेलापन कई प्रकार की मानसिक परेशानियों की वजह बन सकता है। अकेलेपन की भावना घर कर जाने पर व्यक्ति तनाव, चिंता और अवसाद के चपेट में आसानी से आ सकता है। अकेला व्यक्ति आसानी से किसी पर भरोसा नहीं कर पाता और अपने मन की बात किसी से जाहिर नहीं करता।  इसका बुरा प्रभाव उसके मन पर पड़ता है और मानसिक विकार पनपने लगते हैं। बहुत संभावनाएं हैं कि वो नशे का भी आदि बन जाए।

सही दोस्तों का चुनाव भी जरूरी:

इस बारे में नशा उन्मूलन केंद्र, राजस्थान, में सेवाएं दे रहे डॉ सचिन कहते हैं हमारे पास ज्यादातर केस ऐसे आते हैं जिनमें अवसाद के कारण व्यक्ति नशे का शिकार हो जाता है और इसका जड़ अकेलापन होता है। डॉ सचिन का इस बारे में कहना है कि परिवार और दोस्तों का साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन वे यह भी कहते हैं कि यह भी देखना जरूरी है कि सही दोस्त बनाए जाएं, नहीं तो दोस्त भी अवसाद में धकेलने का कारण बन सकते हैं। वे कहते हैं कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें दोस्त तो बनाए गए थे लेकिन वह सब राह भटकाने वाले थे। इसे बुरी संगत कहा जाता है।

मन की बात समझता है दोस्त:

इस बारे में परामर्शदाता इंदु गुप्ता कहती हैं कि अकेलेपन की भावना से बचने के लिए सभी को दोस्तों का झुंड बनना आवश्यक है। ऐसे बहुत से मामले आते हैं जिसमें परिवार है, लोग हैं लेकिन मन की बात करने व समझने वाला कोई दोस्त नहीं है। वह कहती हैं दोस्ती हमें अकेलेपन के प्रतिकूल प्रभावों और मानसिक बीमारियों से बचा सकती है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

Share on

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *