Mental Health

मुक्ताक्षर

आभासी दुनिया में भी व्यायाम करने से दूर हो सकता है तनाव

लेखक: Admin

उपशीर्षक: जापान के वैज्ञानिकों की नई शोध ने पाया कि प्रथम व्यक्ति दृष्टिकोण से देखने पर जब कोई व्यक्ति आभासी दुनिया में 6.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ा, तब हकीकत में उसका तनाव और चिंता का स्तर काफी कम हुआ। यह असली दुनिया में व्यायाम करने जैसा ही था।

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हर चीज की तरह व्यायाम का भी ऑनलाइन विकल्प आ चुका है। इनमें से ही एक है इमर्सिव आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रियलिटी) में किया जाने वाला व्यायाम। इसको लेकर पहले तो कहा जाता था कि शायद ही इसका कोई फायदा हो। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि आभासी दुनिया में किया जाने वाला व्यायाम न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।

भारी व्यायाम न कर पाने वालों के लिए वरदान:

जापान की तोहोकू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि आभासी दुनिया में व्यायाम करने से शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य बेहतर होते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जो लोग भारी व्यायाम करने में असमर्थ हैं, वे भी आभासी प्रशिक्षण (वर्चुअली ट्रेनिंग) कर अपनी मानसिक सेहत सुधार सकते हैं। यह अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि शारीरिक व्यायाम से हमारे पूरे शरीर को फायदा होता है मानसिक स्वास्थ्य भी सुधरता है। हालांकि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो रोजाना व्यायाम करने में असमर्थ होते हैं। इनमें न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, दिल की बीमारी के मरीज और गंभीर अवसाद से जूझ रहे लोग शामिल हैं। ऐसे में इमर्सिव वर्चुअल रियलिटी (आइ वि आर) में प्रशिक्षण करना एक अच्छा विकल्प है।

ऐसे कर सकते हैं काल्पनिक दुनिया में व्यायाम:

इमर्सिव वर्चुअल रियलिटी (आइ वि आर) एक ऐसा कंप्यूटर सिस्टम है जिसका प्रयोग एक काल्पनिक दुनिया बनाने के लिए किया जाता है। इस दुनिया में उपभोक्ता अपना जीवन जैसा चाहे वैसा जीने के लिए स्वतंत्र है। उपभोक्ता को ऐसा लगता है मानो वह वास्तविक रूप से उस वातावरण का एहसास कर रहा हो जिस दुनिया में वह जीना चाहता है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इमर्सिव वर्चुअल रियलिटी (आइ वि आर) का आविष्कार मनोरंजन के लिए किया था, लेकिन अब चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े शोधकर्ता शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से इसके संबंध की जांच कर रहे हैं।

याददाश्त और दिमाग से जुड़े बेहतर नतीजे सामने आए:

एक अन्य शोध के मुताबिक, वर्चुअल रियलिटी में खुद को घूमते-फिरते देखने से वास्तव में हमारे शरीर में बदलाव देखने को मिलते हैं। इसके अलावा याददाश्त और दिमाग से जुड़े परिणाम भी देखे जा सकते हैं। ये बदलाव ठीक वैसे ही होते हैं जैसे शारीरिक सक्रियता के बाद हमको देखने को मिलते हैं।

तनाव और चिंता हुई कम:

जापान के वैज्ञानिकों की नई शोध ने भी कमोबेश इसी बात पर मुहर लगाई है। उन्होंने पाया कि प्रथम व्यक्ति दृष्टिकोण से देखने पर जब कोई व्यक्ति आभासी दुनिया में 6.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ा, तब हकीकत में उसका तनाव और चिंता का स्तर काफी कम हुआ। यह असली दुनिया में व्यायाम करने जैसा ही था। शोधकर्ता दलीली बुरिन का कहना है कि इस शोध के बाद आभासी दुनिया में व्यायाम को लेकर लोगों की सोच बदलेगी। इसका फायदा उठा कर लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकेगा।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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