Mental Health

मुक्ताक्षर

अत्यधिक तनाव मिर्गी के दौरे को आमंत्रित कर सकता है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: मिर्गी से पीड़ित करीब 30 से 35 प्रतिशत व्यक्ति अवसाद का अनुभव करते हैं। अवसाद मिर्गी के लक्षण को और बदतर बना सकता है।

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वर्तमान में तनाव और चिंता मानो हर किसी के जीवन का हिस्सा बन गया है। मगर लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि यह तनाव और चिंता किस कदर हमें मुसीबत में डाल रहा है। मन को प्रभाव में लेने के बाद यह तन पर आक्रमण कर देता है। अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि लगभग हर शारीरिक बीमारी की जड़ मानसिक तनाव ही है। यह मकड़जाल बुन पहले मन और फिर तन के हर हिस्से को प्रभावित करता है। मिर्गी का रोग भी इसी की देन है जिसका सीधा संबंध तनाव से ही है।

वर्तमान में अनियमित जीवनशैली और भागदौड़ भरी जिंदगी से प्रभावित लोग मिर्गी रोग का शिकार हो रहे हैं। चिकित्सक भी मानते हैं कि वर्तमान में तनाव, चिंता और अनिद्रा के कारण मिर्गी के रोगियों की संख्या बढ़ी है।

दिमाग में पैदा होने लगती हैं अजीब सी तरंगें:

मनोरोग चिकित्सक डॉ संकेत प्रधान बताते हैं कि मिर्गी का रोग एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर है। मिर्गी के रोग में पीड़ित के दिमाग में अजीब प्रकार की तरंगें उत्पन्न होने लगती हैं। शुरू-शुरू में दिमाग में झनझनाहट सी महसूस होती है। मस्तिष्क में इस गड़बड़ी के होने के कारण व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं। इस दौरे में कुछ समय के लिए मरीज का दिमागी संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है। उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। पूरा शरीर अजीब प्रकार से झटके मारता है मानो बिजली का करंट लगा हो। कभी-कभी मरीज के मुंह से झाग भी आ सकता है। उसकी आंखें टंगने लग जाती हैं। मिर्गी के दौरे के कारण पीड़ित का तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है जिसका प्रभाव उसके पूरे शरीर पर पड़ता है।

झाड़ फूंक के चक्कर में ना पड़ें:

मिर्गी का दौरा किसी भी वक्त पड़ सकता है। अमूमन यह देखा जाता है जिसे मिर्गी का दौरा पड़ता है उसके करीबी नाते-रिश्तेदार झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र जैसे उपाय शुरू करवा देते हैं। कोई बदबूदार चीज रोगी को सुंघाने की सलाह भी देने लग जाते हैं। ऐसा करना गलत है। यह एक प्रकार का दिमाग से जुड़ा रोग है जिसका समय पर उपचार संभव है। इसलिए मिर्गी का दौरा पड़ने पर पीड़ित को तुरंत ही चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए अन्यथा उसकी जान भी खतरे में पड़ सकती है। यह बीमारी लाइलाज नहीं है। सही समय पर इसका उपचार कराने से मिर्गी का रोग ठीक हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़े तो उसे न्यूरोलॉजिस्ट के पास ले जाना चाहिए।

बहुत ज्यादा तनाव में रहना खतरनाक:

अगर व्यक्ति अत्याधित तनाव में रहता है तो उसे मिर्गी का दौरा पड़ने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। दिमाग की नर्व के ठीक से काम न करने पर भी मिर्गी का रोग हो सकता है। जीन्स में गड़बड़ी के कारण भी मिर्गी का रोग होने का कारण बन सकता है। इसके अलावा दिमाग में पूरी तरह से ऑक्सीजन न पहुंच पाने पर भी यह रोग हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति को दिमाग की टीबी हो गई हो तो भी उसे मिर्गी की शिकायत हो सकती है।

मिर्गी के लक्षण:

  • रोगी के आंखों के आगे अंधेरा छा जाना, चक्कर आना, बेहोश हो जाना।
  • पीड़ित के शरीर का अकड़ जाना।
  • मुंह से झाग आना।
  • शरीर में झटके जैसे लगना, विशेष रूप से हाथ या पैर झटकों के साथ का लगातार चलते रहना
  • भ्रम व दुविधा की स्थिति पैदा होना
  • मांसपेशियों में अकड़न या ढीलापन आ जाना
  • सोचने-समझने की क्षमता में कमी आना

दौरा पड़े तो न करें ये गलती:

  • मिर्गी के रोगी को अगर दौरा पड़ जाए तो उसे रोकने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए ऐसा करने पर रोगी अपने आप को चोटिल भी कर सकता है।
  • पीड़ित को मिर्गी का दौरा आने पर उसे खाने या पीने के लिए कुछ भी न दिया जाए क्योंकि यह उसके गले में अटक सकता है।
  • झाड़फूंक के चक्कर में बिल्कुल भी न पड़ें

मिर्गी के रोगियों में सबसे सामान्य स्वास्थ्य समस्या है अवसाद:

  • मिर्गी से पीड़ित लोगों में सबसे सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्या अवसाद है।
  • मिर्गी से पीड़ित करीब 30 से 35 प्रतिशत व्यक्ति अवसाद का अनुभव करते हैं।
  • अवसाद मिर्गी के लक्षण को और बदतर बना सकता है।
  • मिर्गी से पीड़ित तकरीबन आधे रोगियों में कम से कम एक अन्य स्वास्थ्य समस्या देखी जाती है। इसमें अवसाद और चिंता सबसे ऊपर हैं
  • मिर्गी से पीड़ित तकरीबन 25 प्रतिशत लोग अवसाद का और 20 प्रतिशत चिंता का अनुभव करते हैं।

विश्व स्तर पर, हर साल लगभग 50 लाख लोगों में मिर्गी का निदान किया जाता है।

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