लेखक: Admin
उपशीर्षक: एक ओर जहां पूरी दुनिया में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर मस्तिष्क इमेजिंग के प्रति अरुचि मानव व्यवहार को समझने में बाधा बन रही है।
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चिंता, तनाव और अवसाद के कारण लोग आत्महत्या जैसा भयंकर कदम क्यों उठा लेते हैं इसको जानने के लिए वैज्ञानिक तमाम तकनीकों पर काम कर रहे हैं। ब्रेन इमेजिंग तकनीक ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित है। बीते दो दशकों से मानसिक रोगियों के मन की स्थिति जानने के लिए वैज्ञानिक इस तकनीक पर सबसे ज्यादा निर्भर रहे हैं। लेकिन, अब उनकी चिंता बढ़ गई है क्योंकि पिछले कुछ समय से लोगों का रुझान ब्रेन इमेजिंग के प्रति घट गया है। लोग इसमें कुछ खास रुचि नहीं ले रहे हैं।
वैज्ञानिकों की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि ब्रेन इमेजिंग आंकड़ों में कमी के कारण वह किसी परिणाम तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस बात का खुलासा अमेरिका के नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन से हुआ है। सेंट लुइस स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के मनोवैज्ञानिक और शोध के लेखक स्कॉट मार्क बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को सही ढंग से समझने के लिए एक नहीं बल्कि हजारों ब्रेन इमेजिंग की जरूरत होती है ऐसे में लोगों की इसमें रुचि घटना चिंता का विषय है।
लोगों की रुचि घटने के कारण
कारणों की बात करें तो मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग टेक्नॉलजी से लिया गया नमूना छोटा होता है, जिससे कई बार छेड़छाड़ होने का डर है। शोध में शामिल डॉ निको डोसेनबैक के मुताबिक, ब्रेन इमेजिंग तकनीक बहुत महंगी है साथ ही इसमें समय भी बहुत लगता है। मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित अध्ययन के लिए करीब 23 विषयों की औसतन इमेजिंग जरूरी होती है। इन सब कारण से लोगों की ब्रेन इमेजिंग के प्रति रुचि घट रही है। आपको बताते चलें कि नेचर पेपर के लेखक लाखों अलग-अलग आकार और सैंकड़ों मस्तिष्क क्षेत्र में अध्ययन कर चुके हैं।
ब्रेन इमेजिंग के लिए प्रतिभागियों की कमी
शोधकर्ताओं ने ब्रेन इमेजिंग के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए 3 तरह के अध्ययन बताए हैं। पहला है ह्यूमन कनेक्शन प्रोजेक्ट, जिसमें कम से कम 1,200 प्रतिभागियों का शामिल होना जरूरी है। दूसरा, एडोलसेंट ब्रेन कॉग्निटिव डेवलपमेंट इसमें भी 1,200 प्रतिभागी होते हैं। तीसरा होता है यूके बायो बैंक अध्ययन इसमें 35,700 प्रतिभागी शामिल होते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि इन तीनों अध्ययन के लिए अब पर्याप्त संख्या में प्रतिभागी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)