Mental Health

मुक्ताक्षर

स्तनपान और मां के मानसिक स्वास्थ्य में है अनोखा संबंध

लेखक: Admin

उपशीर्षक: स्तनपान और मानसिक स्वास्थ्य का विशेष संबंध उजागर हुआ है। स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए ये शोध खास मायने रखती है।

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यह तो सब जानते हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए चिकित्सक मां बनने वाली महिलाओं को विशेष रूप से बच्चे को स्तनपान कराने की सलाह देते हैं। लेकिन, शायद ही आप यह जानते होंगे कि स्तनपान मां के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स चान मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में इस संबंध को उजागर किया है।

मानसिक स्वास्थ्य पर दिखा सकारात्मक प्रभाव

शोधकर्ताओं ने एक समीक्षात्मक अध्ययन में स्तनपान कराने वाली माताओं के मानसिक स्वास्थ्य की पड़ताल की। इसमें पाया गया कि मां का दूध बच्चों के लिए तो सेहतमंद होता है, स्तनपान कराने वाली मां के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस आधार पर स्तनपान कराना मां के लिए भी फायदेमंद बताया गया है। यह शोध जर्नल आफ वुमेन हेल्थ में प्रकाशित हुई है।

चिंता और अवसाद के लक्षण कम हुए:

यूनिवर्सिटी आफ मैसाचुसेट्स चान मेडिकल स्कूल की मेगन युएन और ओलिवा हाल तथा उनके सहयोगियों ने अपनी इस शोध में पाया है कि स्तनपान कराने से माताओं का मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है, उनमें चिंता, तनाव और अवसाद के लक्षण कम हो जाते हैं। हालांकि, इस शोध का एक दूसरा पहलू भी है जिसके अनुसार, यदि कोई मां स्तनपान कराने में परेशानी महसूस करती है तो जबरदस्ती स्तनपान कराने से उसके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है।

मानसिक परेशानियां होती हैं कम:

इस दौरान शोधकर्ताओं ने 36 अध्ययनों की समीक्षा की जिनमें पाया गया कि स्तनपान और माताओं के मानसिक स्वास्थ्य में विशेष संबंध है। शोधकर्ताओं ने बताया कि 29 अध्ययनों का निष्कर्ष बताता है कि स्तनपान कराने से माताओं को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां कम होती हैं। सिर्फ एक अध्ययन ऐसा था जिसमें पाया गया कि स्तनपान कराने वाली माताओं में मानसिक परेशानियों के लक्षण दिखे।

इसको भी जानें

34 अध्ययनों में यह सामने आया कि स्तनपान और प्रसव बाद अवसाद के बीच भी उल्लेखनीय संबंध है। 28 अध्ययनों में उजागर हुआ कि स्तनपान कराने से प्रसव बाद होने वाले अवसाद का जोखिम अधिक होता है। वर्जिनिया कामनवेल्थ यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट फार वुमेन हेल्थ की कार्यकारी निदेशक सुसान जी कार्नस्टीन के अनुसार, अध्ययन से मानसिक स्वास्थ्य के मद्देनजर चिकित्सकों को व्यक्तिगत तौर पर माताओं को स्तनपान कराने की सलाह देने में मदद मिलेगी, साथ ही स्तनपान के मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले असर को समझा जा सकेगा। आपको बता दें कि दुनियाभर में स्तनपान को लेकर महिलाओं को जागरूक किए जाने और स्तनपान के फायदे बताने की दिशा में काम किया जा रहा है। विश्व की कई एजेंसियां इस कार्य में लगी हैं ऐसे में यह नया अध्ययन उनके काम को आसान बनाने में मददगार साबित हो सकता है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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