लेखक: Admin
उपशीर्षक: अध्ययनों में कहा गया है कि पढ़ने की आदत न केवल आपको नई जानकारियां देती है बल्कि यह आपका तनाव दूर करके एक मजबूत शख्सियत में बदलने का माद्दा भी रखती हैं। हालांकि जो लोग अवसाद और तनाव से लड़ रहे होते हैं उनको अच्छा प्रेरणादायी, धार्मिक, सकारात्मक साहित्य पढ़ने के लिए ही कहा जाता है।
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प्रसिद्ध टीवी अभिनेत्री देबिना बनर्जी जो कि टीवी की नामचीन हस्ती गुरमीत चौधरी की पत्नी हैं हाल ही में मां बनी हैं। मां बनने की उनकी यह यात्रा जरा भी आसान नहीं थी। इस दौरान उनको आईवीएफ यात्रा से भी गुजरना पड़ा जो कई प्रयासों के बाद सफल हो पाई। देबिना ने न सिर्फ दर्द और तकलीफ को सहा, बल्कि सोशल मीडिया पर लोगों ने भी उनको कई तरह से परेशान करने की कोशिश की। इसके कारण उनको तनाव और अवसाद जैसी परिस्थिति से भी दो-चार होना पड़ा। लेकिन देबिना ने इसे अपने पर हावी होने नहीं दिया और योग, ध्यान के अलावा कई प्रकार की पुस्तकों का भी सहारा लिया।
किताबों की शरण में देबिना:
टीवी अभिनेत्री ने सोशल मीडिया पर अपने संघर्ष और इससे पार पाने में किताबों के महत्व पर प्रकाश डाला है और बताया है कि कैसे प्रेरणादायक किताबों ने उनके मजबूत बनाया। उन्होंने इस दौरान भगवत गीता भी पढ़ी। देबिना ने किताबों के बारे में कहा है कि यह आपको तनाव से बाहर निकाल सकती हैं। उनकी बात पूरी तरह से सही भी है क्योंकि कई शोध भी इस तथ्य को सही ठहरा चुके हैं।
अध्ययन भी बताते किताबों का महत्व:
अध्ययनों में कहा गया है कि पढ़ने की आदत न केवल आपको नई जानकारियां देती है बल्कि यह आपका तनाव दूर करके एक मजबूत शख्सियत में बदलने का माद्दा भी रखती हैं। अवसाद और तनाव का सामना करने वाले लोगों के लिए यह किसी दवा से कम नहीं। किताबें पढ़ने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को लाभ होता है।
तनाव हो जाता कम:
कुछ शोध में पाया गया कि लोगों के तनाव के स्तर पर जिस तरह योग, ध्यान और हास्य प्रभाव डालता है इसी तरह मात्र 30 मिनट किताब पढ़ने भर से रक्तचाप, हृदय गति और मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से छात्रों पर किताब पढ़ने के फायदों का आकलन करने के बाद यह बात सामने आई। अवसाद पीड़ित लोग अक्सर खुद को अलग-थलग और अकेला महसूस करते हैं। लेकिन पढ़ने से ऐसे लोग अस्थायी रूप से अपनी दुनिया से दूर किताब के पात्रों के काल्पनिक अनुभवों में ध्यान लगा लेते हैं जिससे वह मन में उमड़-घुमड़ रहीं परेशान करने वाली बातों से दूरी बना लेते हैं और उनका तनाव कम होने लगता है।
दूसरों का दर्द समझ खुद को करते मजबूत:
किताबें पढ़ने की आदत लोगों में दूसरे लोगों के दर्द को समझने और सहानुभूति की भावना को भी मजबूत करती है। जो लोग साहित्यिक उपन्यास पढ़ते हैं उनमें कहानियों के पात्रों के आंतरिक जीवन को गहराई से समझने की भावना बढ़ती है। इसके अलावा ऐसे लोगों में दूसरों की भावनाओं और विश्वासों को समझने की क्षमता भी विकसित हो जाती है। जिससे उनको स्वयं को मजबूत बनाने का आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है।
अच्छा साहित्य देता ज्यादा फायदा:
रात की अच्छी नींद के लिए भी विशेषज्ञ रोजाना सोने से पहले पढ़ने की आदत को शामिल करने का सुझाव देते हैं। हालांकि जो लोग अवसाद और तनाव से लड़ रहे होते हैं उनको अच्छा प्रेरणादायी, धार्मिक, सकारात्मक साहित्य पढ़ने के लिए ही कहा जाता है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)