लेखक: Admin
उपशीर्षक: कोरोना ने महिलाओं में चिंता बढ़ाई और इसके परिणामस्वरूप मासिक धर्म संबंधी समस्याएं भी।
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कोरोना ने हर तरीके से दुनिया को नुकसान पहुँचाया है। शरीर और मन दोनों इससे दुष्प्रभावित हुए हैं। विशेष रूप से महिलाओं की बात करें तो उनमें मानसिक परेशानियां सबसे ज्यादा बढ़ी हैं जिनका प्रभाव अब शरीर पर भी साफ देखा जा रहा है।
हाल में आई एक शोध बताती है कि कोरोना के प्रारंभ में ही महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्याएं काफी बढ़ गई। इसका कारण महिलाओं में चिंता और तनाव का बढ़ना बताया जा रहा है। जर्नल ऑफ वुमन हेल्थ में प्रकाशित हुई इस शोध में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोरोना महामारी के वक्त चिंता और तनाव की वजह से महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव में वृद्धि देखी गयी। एक भारतीय हेल्थ पोर्टल ने भी एक सर्वे किया था जिसमें बताया गया था कि कोरोना के दौरान भारत में तकरीबन हर 3 में से 1 महिला को लॉकडाउन के दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करने की जरुरत पड़ी थी।
इस प्रकार की गई शोध:
अमेरिका में हुई इस शोध में करीब 200 महिलाओं को शामिल किया गया जो कि न तो गर्भवती थीं और ना ही गर्भनिरोधक दवाएं ले रही थीं। इसके अलावा ये महिलाएं स्तनपान भी नहीं करवा रही थीं। दूसरी खास बात यह थी कि इन महिलाओं को पहले कभी भी प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नहीं हुई थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन महिलाओं को लॉकडाउन के दौरान चिंता और तनाव ज्यादा हुए, उनमें माहवारी के दौरान रक्तस्राव भी बढ़ गई। इसके अलावा इनकी मासिक धर्म की अवधि भी बढ़ गई।
हार्मोनल बदलाव ने काम बिगाड़ा:
जानकारों का कहना है कि तनाव के कारण लोगों में कॉर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन ज्यादा बढ़ जाता है। महिलाओं की बात करें तो उनमें हार्मोनल बदलाव के कारण वैसे भी समस्याएं हो जाती है इनमें से ज्यादातर मनोदशा से जुड़ी होती हैं। कोर्टिसोल हार्मोन प्रजनन हॉरमोन्स पर हावी भी हो सकता है जिसके चलते महिलाओं में विशेष रूप से ओव्यूलेशन प्रक्रिया और मासिक धर्म चक्र प्रभावित होते हैं। रक्तस्राव के अलावा तनाव माहवारी के दौरान होने वाले दर्द को भी बढ़ा सकता है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)