लेखक: Admin
उपशीर्षक: हद से ज्यादा बुरी खबरें सुनने से हम तनाव, चिंता, यहां तक की गंभीर अवसाद का भी शिकार हो सकते हैं।
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अति सर्वत्र वर्जयेत्। यानि हर चीज की अति बुरी होती है। किसी भी चीज की अति करने से हम उस चीज के लती बन सकते हैं। फिर अगर वह चीज न मिले तो हम परेशान और बेचैन हो जाते हैं भले ही वह वस्तु हमारे काम की हो या न हो। किसी भी चीज का लती होना हमें कई प्रकार की मानसिक परेशानियों की सौगात भी दे सकता है। ऐसा ही कुछ हो रहा है खबरों के साथ भी। जिनको वजह-बेवजह सुन-सुन कर लोग अपनी मानसिक स्थिति को बिगाड़ सकते है।
हाल ही में आई एक शोध में खुलासा हुआ है कि जरूरत से ज्यादा खबरों को सुनना या उनका लती होना लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। डर, खौफ और चिंता भरी खबरों को सुन-सुन कर लोग डर, चिंता, तनाव, यहां तक की अवसाद का भी शिकार हो सकते हैं। टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। उनका कहना है कि जिन लोगों को खबर सुनने की लत लगी हुई है उनके मानसिक विकार की चपेट में आने की संभावनाएं काफी अधिक हैं। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि खबरों के साथ एक स्वस्थ संबंध रखना होगा जरूरत से ज्यादा इनको सुनना नुकसानदायक साबित हो सकता है।
परेशान करने वाली खबरें मन को करतीं प्रभावित:
पियर रिव्यू हेल्थ जर्नल में छपे इस अध्ययन के मुताबिक, कुछ खबरें जैसे सामूहिक हिंसा, यूक्रेन-रशिया जंग, कोविड आदि पर आधारित होती हैं उनको सुनने से कुछ पलों के लिए चिंता होना स्वाभाविक है। पर कुछ लोग इस प्रकार की खबरों में डूब से जाते हैं वो बस इन पर ही बात करते हैं और इनको ही देखते-सुनते रहते हैं मानो उनके जीवन में केवल ये खबरें और उन पर प्रतिक्रिया लेना-देना ही मुख्य उद्देश्य बन गया हो। ऐसे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर असर पड़ सकता है।
टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी में कॉलेज ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर ब्रायन मैकलॉघलिन कहते हैं कि ऐसी खबरें हमारे भावनाओं का भला नहीं करतीं, बल्कि भावनात्मक रूप से हमें और ही कमजोर बना देती हैं।
खबरें किस कदर हमें नुकसान पहुंचा सकती हैं आप कल्पना भी नहीं कर सकते। शोधकर्ताओं ने अमेरिका के करीब 1000 व्यस्कों पर अध्ययन किया और खबरों के उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन किया।
दिमाग पर हावी थीं नकारात्मक खबरें:
16 प्रतिशत लोगों पर आक्रामक और हिंसात्मक तरीके की नकारात्मक खबरों का असर सामने आया। ऐसे लोग परेशान करने वाली खबरों के प्रभाव में थे, जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर दिखा। खबरों का इनके विचारों पर प्रभाव हावी था, काम पर इनका ध्यान कम हो चुका था, इनमें नींद और एकाग्रता में कमी, बेचैनी, घबराहट, चिंता जैसे लक्षण उत्पन्न हो चुके थे। इसका असर उनके रिश्तों पर भी पड़ रहा था।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)